पेरेन्टिंग टिप्स ……

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इस तेज़ी से बदलती दुनिया के साथ साथ बहुत सारी चीज़े बदलती जा रही है, जैसे हमारा खान-पान, पहनने-ओढने का तरीका, बात करने का तरीका और तो और जिन्दगी जीने का तरीका / अक्सर किसी न किसी के मुह से ये सुनने में आता रहता है कि जमाना बदल गया हे, हमारे ज़माने में तो ऐसा नहीं था, इन बच्चो को तो देखो- हमारे ज़माने में इस उम्र में ऐसा करना तो दूर सोच भी नहीं सकते थे /

जी हाँ ये सही है कि बच्चे अब ज्यादा समझदार हो गए है / अगर तथ्यों में कहे तो औसत बौद्धिक क्षमता का माप २४ पॉइंट तक बढ़ गया है / चीजों को जल्दी समझ लेना, तर्कपूर्ण चिन्तन, हाजिरजवाबी, कंप्यूटर-मोबाइल जैसी टेक्निकल चीजों का विस्तृत ज्ञान जैसी कई विशेषताए हम रोज़ ही अपने आस पास के बच्चो में देखकर आश्चर्य व्यक्त करते है / पर वहीं दूसरी और ये भी सुनते है कि इन बच्चो में बोलने की तमीज़ नहीं है, ये जिद्दी हो गए है, अपनी दिशा भटक गए है, किसी की सुनते ही नहीं आदि /

अगर आप ये सोच रहे है कि ये सब आम है और ऐसा तो होता ही है, इसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता या बच्चा अपने आप सब सीख लेगा तो आप गलती पर है / आपके बच्चे का मुश्किल व्यवहार ये नहीं प्रदर्शित करता है कि उसके मन में आपके लिए सम्मान नहीं है और वह आपकी नहीं सुनेगा बल्कि ये बताता है कि आपको अपने परेंटिंग के तरीके में बदलाव लाकर उसे और बेहतर बनाने की जरुरत है / सिर्फ आप ही हे जो अपने प्यार, विश्वास, सहयोग और अनुभवों से अपने बच्चे की चमक को हजारो गुना बढ़ा सकता है / इसके लिए कुछ आवश्यक बाते याद रखियेगा :

  • अक्सर देखा गया है कि बहुत से लोग अपने बच्चे की किसी कमजोरी को दुसरो के सामने बोलते रहते है या फिर उसे छुपाते है / दोनों से ही आपका या बच्चे का कोई फायदा नहीं होता है / जो है उसे शिकायत की बजाए या छुपाने की बजाये स्वीकार करके बदलाव के लिए प्रयास कीजिये /
  • अभी छोटा है कहकर गलतियों को नज़रंदाज़ मत कीजिये / अभी छोटा है इसलिए गलत चीजों को उसमे से आसानी से निकल कर उसे बेहतर रूप से सिखाया जा सकता है /
  • कभी-कभी बाज़ार में या दुसरे लोगो के सामने आप उसकी जिद इसलिए मान लेते है क्योकि ऐसा नहीं करने पर उसके रोने, चिल्लाने से आपकी बेइज्जती होगी / पर ऐसा करने से बच्चा आसानी से यह सीख लेता हे की किस तरह अपनी बात मनवाई जाती है / बस रोओ, चीखों, चिल्लाओ, हाथ-पैर पटको जब तक की मम्मी-पापा बात न मान ले / इसलिए अपना व्यव्हार हमेशा एक जैसा रखे / जो चीज़ सही नहीं है वो यहाँ भी सही नहीं हे और दूसरी जगह भी सही नहीं होगी /
  • अपना एक फॅमिली कोड बनाइये जिसमे बच्चे को समय-समय पर बताते रहे कि क्या चीज़े परिवार में स्वीकार होगी और क्या नहीं / जो स्वीकार होगी वह क्यों और जो नहीं होगी वह भी क्यों? बच्चा तर्क से सही गलत में भेद करना सीखेगा /
  • ‘आने दो पापा को, उनको बताती हू’ ये वाक्य अक्सर घरो में सुनने को मिलता है, पर ये कहकर आप अपना ही महत्व बच्चे के सामने कम कर रहे है / बच्चा अप्रत्यक्ष रूप से सीख लेता है की मम्मी कुछ नहीं कर सकती / इसलिए बच्चे की साथ खुद डील कीजिये / इससे सही समय पर आप सही मार्गदर्शन दे पाएंगी /
  • बच्चो को समय दीजिये, बातचीत कीजिये, उनके दोस्तों में, एक्टिविटीज में अपना इंटरेस्ट दिखिए / ताकि आपको उसके विचारो, उसके क्रियाकलापों के बारे पता रहे / यदि वह कुछ गलत भी बोल रहा हे तो तुरंत मत टोकिये वर्ना वो आपसे बाते शेयर करना बंद कर देगा / पर कुछ देर बाद शांति से उसे समझाइये की क्या सही है /

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