उत्तम क्षमा ……क्योकि आप ‘मन की शांति’ के हकदार है

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पांचवी कक्षा के बच्चो को एक टीचर ने बड़ा ही अनोखा प्रोजेक्ट दिया जिसमे उन्हें घर से कुछ टमाटर लाने के लिए कहा गया / उन्हें हर एक टमाटर को एक नाम देना था जिनसे वो नफरत करते है या जिनको वो पसंद नहीं करते / इस तरह उनके पास उतने टमाटर होने चाहिए जितने लोगो को वो पसंद नहीं करते /

निश्चित किये गए दिन सभी बच्चे अपने साथ टमाटर लाये जिसको उन्होंने नाम दिया हुआ था / कुछ के पास २ टमाटर थे, कुछ के पास ५ और कुछ ऐसे भी थे जिनके पास १०-१२ टमाटर थे / टीचर से सभी से कहा की अब अपने सारे टमाटर एक थैली में रख ले और इस पूरे सप्ताह वो जहा भी जाये उस टमाटर वाली थैली को अपने साथ ले जाए /

२ दिन बाद ही बच्चो ने टमाटर सड़ने की शिकायत करना शुरू कर दी / जैसे जैसे समय बीतता गया बच्चो की शिकायत बढ़ने लगी उनको अब उसमे से असहनीय बदबू आने लगी थी / ऐसे बच्चे जिनके पास ज्यादा टमाटर थे उनको इतना बोझ उठाना पड़ रहा था / जैसे तैसे टीचर के कहने पर बच्चो ने समय निकला /

प्रोजेक्ट ख़तम होने पर टीचर से सभी से पूछा कि उनका वो सप्ताह कैसा रहा / सभी बच्चो ने ज्यादा वजन, टमाटर की बदबू आदि कि शिकायत की /

तब टीचर ने उनसे कहा की ये बिलकुल वैसा ही है जैसे हम उन लोगो या घटनाओ को अपने दिल में जमा कर रखते है जिनसे हम नफरत करते है या जिन्होंने हमें दुःख पहुचाया है / ऐसे लोगो और घटनाओ की संख्या हम लगातार बढ़ाते रहते है और हर जगह, हर पल नफरत का ये भारी बोझ हमारे दिल पर रखकर उसे कमजोर और बीमार बनाते है / जब टमाटरो के सड़ने की बदबू को हम एक सप्ताह भी नहीं झेल सकते तो कल्पना कीजिये आपके दिल और दिमाग पर इसका क्या असर होता होगा जहाँ पर आपने जिन्दगी भर के लिए कचरा इकठ्ठा कर रखा है /

कहने का तत्पर्य यह है कि हमारा दिल और दिमाग एक खुबसूरत बगीचे के सामान है जिसको सुन्दर और स्वस्थ बनाये रखने के लिए जरुरी है कि उसमे से लगातार अनचाहे पौधो या खरपतवार को उखाड़ के फेक दिया जाये ताकि अच्छी चीजों को सहेजने के लिए जगह मिल पाए /

यह सच है कि हम में से हर एक व्यक्ति को जीवन में किसी न किसी ने या कहे तो अनेको लोगो ने दुःख पहूचाया है /  उस समय आपके मन को कितना दुःख पंहुचा, कितनी पीड़ा पहूची ये आपके अलावा कोई और समझ ही नहीं सकता / उस घटना के बाद कुछ समय तक हम उन चीजों को भूल नहीं पाते क्योकि न तो हम ऐसा चाहते है और न ही ऐसा करने की स्तिथी में होते है / परन्तु कुछ समय बाद आपका पूरा जीवन आपके सामने है और हम में से अनेको लोग इस कडवाहट, दुःख, निराशा और नफरत को अपने साथ लेकर चलते है / हम बार-बार उसके बारे में सोचते रहते है, अनेको बार दुखी होते है, मन ही मन गुस्सा करते रहते है और ऐसा करके अपने मन और मस्तिष्क में नकारात्मकता बढ़ाते रहते है / ये हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ को धीरे धीरे ख़तम करने लगती है, हम अपने हर रिश्ते को, हर नए अनुभव को भी उसी नकारात्मकता से देखते लगते है / हम इस नकारात्मकता में इतने घिर जाते है कि आपने आज का आनंद ही नहीं ले पाते और जिस उर्जा का उपयोग हम अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए कर सकते है उसे हम यू ही बर्बाद कर देते है /

यदि हमें किसी व्यक्ति की सुनी हुई प्रेरणादायी बाते बताने के लिए कहा जाये तो शायद हम उसे शब्दशः नहीं बता पाएंगे परन्तु जब हम किसी नकारात्मक घटना या व्यक्ति के बारे में बताते है तो हमें उसका विस्तृत विवरण याद रहता है / किसी संत ने ठीक ही कहा है ‘लोग अच्छी बातो को तो भूल जाते है पर बुरी बातो को अपने दिल में सालो तक ऐसे सहेज कर रखते जैसे वो कोई हीरे-मोती हो’ /

अपने शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वस्थ के लिए ये बेहद जरुरी है कि हम इस कचरे को अपने अन्दर से निकल फेके / ऐसा करके हम आपना ही बोझ कम कर रहे है और ये हमारी जिन्दगी को बेहतर ढ़ंग से जीने और उन्नति करने के लिए बहुत जरुरी है / इसके लिए हमें सिर्फ ४ बाते ध्यान रखनी है :

  • जब भी कोई नकारात्मक विचार मन में आये तुरंत जागरूक हो जाइये कि ये मै क्या सोच रही / रहा हू / क्योकि अगर एक बार आपने इन विचारो को थोड़ी सी भी जगह दी तो आप इसमें उलझ के ही रह जायेंगे /
  • इस बारे में सोचे की उस घटना या व्यक्ति से आपको क्या सीख मिली है और क्या सकारात्मक कार्य करके उस तरह की समस्या को आप हल कर सकते हो /
  • याद रखे की माफ़ कर देने से ये साबित नहीं होता कि उसने ये सही किया पर है या आप कमजोर है बल्कि माफ़ी ये बताती है कि रिश्तो को निभाने की काबिलियत आप उनसे ज्यादा रखते है /
  • खुश रहिये शायद ये ही उन लोगो के लिए सबसे बड़ा बदला है जो आपको तकलीफ में देखना चाहते है /

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