बहुत समय पहले की बात है एक आदमी जंगल के रास्ते से कही जा रहा था / अँधेरा होने लगा था, बारिश शुरू होने लगी थी और वह किसी जंगली जानवर के डर से जल्दी से जल्दी इस जंगल को पार कर जाना चाहता था / तभी उसकी नज़र एक शेर पर पड़ती है जो उसकी ही तरफ आ रहा था / आदमी शेर से बचने के लिए तेज़ी से भागा परन्तु शेर भी उसके पीछे भागने लगा और जैसे ही उसे पकडे लगा आदमी पास बहती नदी में कूद गया / शेर से तो उसका पीछा छूट गया पर उसे तैरना नहीं आने के कारण वह पानी में डूबने लगा था / उपर से बारिश और तेज़ होने से पानी बढ़ता जा रहा था / तभी उसे एक बांस पानी में बहता हुआ दिखा / वह उस बांस को पकड़ कर उसके साथ तैरता रहा और किनारे पर आ गया /
उस आदमी ने सोचा कि इस बांस के कारण ही मेरी जान बची है ये भगवान द्वारा ही भेजा गया है इसलिए मै इसे घर ले जाऊँगा और रोज़ इसकी पूजा करूँगा / ये सोचकर उसने बांस को उठाया जो की पानी में रहने के कारण बहुत भारी हो गया था और अपने घर की तरफ चलने लगा / तेज़ बारिश और आंधी के कारण उसे बांस को लेकर चलने में बहुत कठिनाई हो रही थी / वह बुरी तरह थक गया था पर उस भारी बांस को थोड़ी दूर भी नहीं ले जा पाया था /
उसी समय गौतम बुद्ध ने उस आदमी को पुकारा और कहा कि मै काफी देर से तुम्हारे पीछे चल रहा हू क्या कारण है कि इस भारी बांस को तुम इतनी परेशानी के बाद भी अपने कंधे पर लादे हुए हो ? आदमी ने जब पूरी बात उन्हें बताई तब गौतम बुद्ध ने कहा कि ईश्वर ने तुम्हारे जीवन की रक्षा के लिए इस बांस को माध्यम बनाया था, इसने अपना काम पूरा कर दिया परन्तु अब जब तुम इसे लादे हुए हो ये तुम्हारे प्राण ले रहा है / इसलिए इसके आभारी रहो पर इसे यही छोड़कर जो जीवन इसने तुम्हे दिया है उसका सदुपयोग करो /
कहने का तात्पर्य यह है कि हम सभी को ऐसे सभी पुराने दिनों, अनुभवों या विचारो को त्याग देना चाहिए जो कि हमें अपने आज को स्वीकार करने और उसका आनंद उठाने में रुकावट डालते है / जब हम कहते है कि अरे वो भी क्या दिन थे, अरे वैसी चीज़े आजकल मिलती ही कहाँ है, आजकल लोग ही ऐसे हो गए है; उस समय अपने वजनदार बांस को हमने लादा हुआ होता है / उसे उतार दीजिये और आपने आज का आनंद लीजिये /