THINK BEFORE YOU BELIEVE (Critical Thinking Skills) – HINDI

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इस नंबर का फ़ोन मत उठाना ब्लास्ट हो रहा है, इस वेजिटेबल के जूस से 5 दिन में 7 किलो वजन कम करे या कमेंट में 5 बार गुडलक लिखे और 50 रुपए का रिचार्ज पाए और ऐसी ही कई अनगिनत सूचनाएं जिन पर हम भरोसा कर लेते है… पर भरोसा करने के पहले सोचे…….. THINK BEFORE YOU BELIEVE

इस नंबर का फ़ोन मत उठाना ब्लास्ट हो रहा है, इस वेजिटेबल के जूस से 5 दिन में 7 किलो वजन कम करे या कमेंट में 5 बार गुडलक लिखे और 50 रुपए का रिचार्ज पाए, अरे मुझे किसी से पता चला कि मिसेस कपूर उनकी बहू से बड़ी दुखी है और ऐसी ही कई अनगिनत सूचनाएं जिन पर हम भरोसा कर लेते है… और ऐसी ही कई अनगिनत बाते और सूचनाये हमें घर-परिवार, पास-पड़ोस, ऑफिस, सोशल मिडिया हर जगह सुनने को मिलती है और हम्मे से ज्यादातर लोग बिना ये सोचे कि उस बात में कितनी सच्चाई है या उसके पीछे क्या इविडेंस या पर्याप्त सबूत उपलब्ध है; हम उन बातो पर भरोसा कर लेते है और उन्हें दुसरो से भी शेयर करते है /
जिस समय हम दुसरो की कही हुई बातो पर बिना सोचे समझे भरोसा कर लेते है उस समय हम हमारी थिंकिंग स्किल्स के एक महत्वपूर्ण भाग ‘क्रिटिकल थिंकिंग’ का उपयोग नहीं कर रहे होते है / ‘क्रिटिकल थिंकिंग’ हमारी थिंकिंग स्किल्स की वो विशेषता है जिसमे हम किसी भी कही हुई बात पर आँख मूंद कर भरोसा करने की बजाय पहले बात को अच्छी तरह से समझ कर, जरुरी सूचनाये एकत्रित कर, फिर ठीक तरह से विश्लेषण कर ये देखते है कि उन बात में कितनी सच्चाई है / ‘क्रिटिकल थिंकर्स’ हमेशाअपने मन में ये प्रश्न पूछते है कि व्यक्ति जो कह रहा है वो उसे कैसे पता ? वेट-कंटोल के टिप्स दे रहा है वो डॉक्टर है, जिम-इंस्ट्रक्टर है, डाइटीशियन है, या खुद उस चीज़ का उपयोग कर चुका है ? उस बात के पीछे लॉजिक है, इविडेंस है या सिर्फ व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कही गयी बात है ?
या फिर किसी व्यक्ति ने अपनी भावनाओ या विचारो को प्रकट किया और हमने उसी को ‘फंडामेंटल ट्रुथ’ मान लिया /
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मेसेजेस की सच्चाई लोगो तक पहुँचाने के लिए कुछ न्यूज़ चैनल्स ने स्पेशल प्रोग्राम शुरू किये है जो किसी भी मेसेज की अच्छे से खोज-बीन कर, सबूत इकट्ठे कर बताते है कि उसमे कितनी सच्चाई है / ये ‘क्रिटिकल थिंकिंग’ है जो हमारे लिए न्यूज़ चेनल्स कर रहे है परन्तु हर दिन अनेकों बाते हम तक पहुँचती है और हर बात के लिए हम दुसरो पर निर्भर नहीं हो सकते है कि कोई आये और हमें ये बताये की क्या सही है और क्या गलत ; तो ऐसे में हमें खुद के ‘क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स’ को विकसित करना और ज्यादा से ज्यादा काम में लाना होगा ताकि हम चीजों को ठीक से समझ पाए, अच्छे निर्णय ले पाए और किसी व्यक्ति या स्तिथि के बारे में सही राय बना पाए /
इसके लिए 3 ‘कोर स्किल्स’ होते है :
१. जिज्ञासा (curiosity) : जिज्ञासा हमें प्रेरणा देती है कि हम और ज्यादा जाने, और ज्यादा सूचनाये एकत्रित करे, और ज्यादा सबूत खोजे / ये जिज्ञासा हम सभी में बचपन से थी पर हममे से ज्यादातर लोगो की परवरिश में ये कहकर उसे दबा दिया गया कि बहुत सवाल करते हो, चुपचाप जैसा बड़े कहते है वैसा करो या हमारे धर्म, सामाजिक व् राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े मुद्दो पर प्रश्न करने की सख्त मनाही कर दी गयी / शायद हम भी हमारे बच्चो के साथ ऐसा ही करते हो पर हम ये भूल जाते है कि ठीक तरह से विश्लेषण कर बनाई राय ही ज्यादा मजबूत होती है /
२. संदेह (skepticism) : यहाँ हम किसी भी बात पर आँख मूंद कर भरोसा करने की बजाय ‘पड़ताल और विश्लेषण’ का विचार रखते है / हम ये प्रश्न करते है कि क्या सच में ऐसी कोई चीज़ है जो तुरंत फायदा या नुकसान दे सकती है ? अगर है तो उसमे ऐसा क्या है, क्या कंटेंट है जो रिजल्ट्स देते है, रिजल्ट्स कितने लोगो को मिला, दुसरे और कौन से फैक्टर्स है जो साथ में काम कर रहे है /
3. विनम्रता (humility) : जब हम किसी बात से सम्बंधित सूचनाये इकट्ठी करते है, विश्लेषण करते है तो बहुत बार हमें ऐसी सूचनाये मिलती है, ऐसे निष्कर्ष मिलते है जो ये बताते है कि हम जो सालों से किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में जो सोच रहे थे, हमारे जो विश्वास थे, विचार थे वो गलत है / इस परिस्थिति में हमें खुले दिल से स्वीकार करना होगा कि हमारी सोच, विचार, विश्वास या कांसेप्ट में कोई गलती है और तथ्यों के आधार पर हमें उनमे सुधर करना होगा /
‘क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स’ हमें सही-गलत का पता लगाने, हमारे विचारो और विश्वासों को सूचनात्मक और तथ्यात्मक मजबूती प्रदान करने, अच्छे निर्णय लेने और चीजों को ठीक ढंग से समझने के लिए बहुत जरुरी है इसलिए इससे अपने में और अपने बच्चो में विकसित होने दे /

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