हर साल 13 अगस्त का दिन International Left Handers Day के रूप में मनाया जाता है जिसका उद्देश्य Left Handers या लेफ्टी की विशिष्टताओं को पहचान दिलाना और लोगो में इस बारे में जागरूकता फैलाना है।
पिछले कुछ सालो में लेफ्ट हैंडर्स की संख्या पहले की तुलना में ज्यादा बढ़ी हैं जिसका सीधा सा कारण लोगो में बढ़ी जागरूकता है। पहले जहाँ लेफ्ट हैंडर बच्चो को पेरेंट्स और टीचर्स राइट हैंड का उपयोग करने के लिए दबाव डालते थे वहीं अब बच्चो की विशिष्टताओं को पहचानकर उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित किया जाने लगा है।
रिसर्च में ये साबित हो चूका है कि अपने किसी भी एक हाथ – लेफ्ट या राइट, का उपयोग करने की प्राथमिकता जन्म से ही होती है और लगभग 7 महीने की उम्र से ही ज्यादातर बच्चे अपनी प्राथमिकता को प्रदर्शित करने लगने लगते है जिसे आप ऑब्ज़र्व कर सकते है । जैसे बॉल, कप या कोई भी चीज़ उठाने के लिए बच्चा ज्यादातर बार कौन सा हाथ पहले बढ़ाता है ? कुछ बच्चे २-3 साल की उम्र तक लिखने, कलर करने या सामान पकड़ने जैसे कामो में दोनों हाथो का बराबरी से उपयोग करते है लेकिन 4 साल की उम्र तक ये बिलकुल क्लियर हो जाता है कि वो राइट हैंडर या लेफ्ट हैंडर।
जब बच्चा लिखना शुरू करता है तो लेफ्ट हैंडर होने से उसे दिक्कत आती है क्योकि हम बच्चे को उन तरीको से लिखना सीखना सिखाते है जो राइट हैंडर बच्चो को ध्यान में रखकर बने होते है। लेफ्ट हैंडर बच्चे की कॉन्फिडेंस को बढ़ाने और उसे लिखन सीखने में मदद करने के लिए उनकी प्रोब्लम्स को समझना और उनको सही तकनीक से सीखाना जरुरी है जिसके लिए :
टिप # 1 : बच्चे पर लेफ्ट हैंड की बजाय राइट से लिखने के लिए दबाव ना डाले।
यदि आपका बच्चा लेफ्ट हैंड से लिखता चाहता है तो उसे जबरदस्ती राइट हैंड से लिखने के लिए ना कहे, उसे बार बार ना टोके बल्कि वो जिस भी हैंड से लिखना चाहता है उसे उसके लिए प्रोत्साहित कीजिये।
बच्चा अपने लेफ्ट हैंड का उपयोग करे या राइट हैंड का इससे उसके इंटेलिजेंस, ऐकडेमिक कैपेबिलिटीज, क्रिएटिविटी, लीडरशिप या किसी भी और चीज़ में कोई फर्क नहीं पड़ता है अगर आपने एक सकारात्मक तरीके से बच्चे की परवरिश की है। अल्बर्ट आइंस्टीन, मदर टेरेसा, महात्मा गाँधी, नरेंद्र मोदी, बिल गेट्स, रजनीकांत जैसे कई पोलिटिकल लीडर्स, एक्टर, आर्टिस्ट, सोशल वर्कर है जो लेफ्टी है।
अभी हाल ही में गोवा में दुनिया का पहला लेफ्ट हैंडर म्यूजियम बनाया गया है जिसमे दुनिया में महशूर 100 लेफ्ट हैंडर लोगो की मूर्तिया और उनके बारे में विशेष जानकारिया दी गयी है।
टिप # 2 : बच्चे की सही ढंग से पेंसिल पकड़ना सिखाये
लेफ्ट हैंडर बच्चे को राइट हैंडर की तुलना में पेंसिल निब से 1 या 1.5 इंच ऊपर से पकड़नी चाहिए जिससे वो जो लिख रहा है उसे देख पाए। आपने अगर किसी बड़े व्यक्ति को लेफ्ट हैंड से लिखते देखा हो तो आपने पाया होगा कि वो अपनी कलाई को मोड़कर लिखते है ताकि वो ये देख पाए की वो क्या लिख रहे है। ये बहुत मुश्किल और परेशानी वाला काम है जिसे “लेफ्टी हुक” कहा जाता है; जो ये बताता है कि उन्हें सही तरीके से लिखना सिखाया नहीं गया है।
टिप # 3 : पेपर की पोजीशन बदल दे
लेफ्ट हैंडर सीधी रखी कॉपी में लिखने में परेशानी महसूस करते है इसलिए जरुरी है कि सही तरीके से पेंसिल पकड़ना सिखाने के साथ ही उन्हें ये भी बताये कि उन्हें लिखते समय कॉपी को 45 डिग्री में घुमा लेना है जिसमे टॉप लेफ्ट कार्नर ऊँचा और टॉप राइट कार्नर नीचे झुका हुआ हो। इस तरह उनकी बांह पेपर के सामानांतर होगी, बच्चे की कलाई सीधी और हाथ राइटिंग लाइन से नीचे होना चाहिए।
एक सही एंगल से लिखने में उनके कंधे, बाजू, कलाई, हाथ सभी अच्छी तरह से काम कर पाएंगे।
टिप # 4 : लेटर फार्मेशन अपने हिसाब से करने दे
एक सही पोजीशन के बावजूद लेफ्ट हैंडर कुछ लेटर्स को अलग तरीके से लिखते है। जैसे E, T, लिखते टाइम राइट हैंडर सीधी लाइन के बाद लेफ्ट से राइट डायरेक्शन में लाइन बनायेंगे जबकि लेफ्टी राइट से लेफ्ट डायरेक्शन में। हमारे सिखाने का तरीका भी राइट हैंडर के हिसाब से होता है जो बच्चे में कन्फूजन क्रिएट करता है। इसलिए उसे लेटर्स का फार्मेशन अपने हिसाब से करने दे ताकि कोई कन्फूजन की स्तिथि ना बने।
उम्मीद करती हूँ कि ये टिप्स आपको बच्चे के राइटिंग स्किल्स में जरूर मदद करेंगे। ये आर्टिकल आपको कैसा लगा इस बारे में कमेंट बॉक्स में कमेंट कर जरूर बताये। साथ ही अगर आपके इससे सम्बन्धी कोई प्रश्न है हो आप कंमेंट सकते है या कोई कॉन्फिडेंशिअल मेटर आप लॉग ऑन कर सकते है मेरी वेबसाइट www.swatigautam.com पर जाकर contact में पेज से अपने समस्या भेज सकते है।
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