ध्यान रहे …आपका ‘स्मार्ट’ फ़ोन ‘सेंसिटिव’ नहीं है ..

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क्या आप अपना मोबाइल अपने बच्चे को दे देते है ? क्या आपको ऐसा लगता है कि बच्चे का मोबाइल पर गेम खेलने या विडियो देखने में कोई नुक्सान नहीं है ? यदि इसका जवाब ‘हाँ’ है तो आपको इस बारे में दुबारा सोचने की जरुरत है /

आधुनिक युग में मोबाइल का इस्तेमाल हमारी ‘जरुरत’ से ज्यादा हमारी ‘आदत’ बन चुका है / और हो भी क्यों नहीं स्मार्ट फ़ोन के अविष्कार के साथ ही पूरी दुनिया हमारी मुट्ठी में समा गयी है / फिर चाहे अपने परिवार, दोस्तों और जान-पहचान के लोगो से बातचीत करना हो या फिर कोई चीज़ खरीदनी हो या किसी रास्ते का पता लगाना हो सब काम चुटकियो में ही हो जाता है / और जब घर में हर एक व्यक्ति के पास एक से बढ़कर एक स्मार्ट फ़ोन हो तब बच्चो को इसकी पहुच से दूर रख पाना बहुत ही मुश्किल है / ये बच्चे बोलना या लिखना- पढ़ना सीखने से कहीं पहले स्मार्ट फ़ोन पर फोटो देखना, विडियो चलाना, गाना बजाना सीख जाते है /

परन्तु मोबाइल का इस्तेमाल हमारी जिन्दगी को जितना आसान बना रहा है उतना ही ये नुकसानदेह भी है विशेषतौर पर बच्चो के लिए क्योकि इस समय उनमे वृद्धि और विकास की प्रकिया अपने शुरुआती स्तर पर होती है / इस समय उनके मष्तिष्क का विकास हो रहा हो रहा होता है और मस्तिष्क के टिश्यू, हड्डिया आदि नाज़ुक होते है जिसके कारण ये वयस्कों की तुलना में रेडिएशन को लगभग 60% ज्यादा अवशोषित करते है / साथ ही ये समय उनकी एकाग्रता, कल्पनाशीलता, सृजनात्मकता, विचारो और पारस्परिक संवाद को विकसित करने का होता है जो कि मोबाइल फ़ोन के उपयोग से विचलित हो रहा है /

पिछले कुछ सालो में मोबाइल फ़ोन के हमारे शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों पर बहुत से अनुसन्धान हुए है और बहुत से अभी चल रहे है / इन अनुसंधानों के आधार पर विश्व स्वास्थ संगठन ने मोबाइल फ़ोन रेडिएशन को ‘कैंसर की उत्पत्ति के लिए संभावित’ माना है /  ये रेडिएशन सबसे ज्यादा तब होते है जब मोबाइल फ़ोन कान पर लगाकर बात की जा रही होती है / कान और सिर से दूर होते ही इसके रेडिएशन में तुरंत गिरावट आ जाती है /

मोबाइल फ़ोन पर गेम खेलने या विडियो देखने के लिए आँखों को भी छोटी स्क्रीन पर फोकस करना पड़ता है जिसके कारण नज़र कमजोर होने लगती है और सिरदर्द, आँखों में जलन, धुंधला दिखाई देना आदि समस्याए होती है / साथ ही मोबाइल, टेबलेट, कंप्यूटर आदि से निकलने वाली लाइट रेटिना को नुक्सान भी पंहुचा सकती है /

स्वास्थ पर प्रभाव के साथ-साथ ये बच्चो की मानसिक क्षमताओ को भी प्रभावित करता है / बच्चे मोबाइल पर गेम खेलने, वीडियो देखने और इन्टरनेट का उपयोग करने के इतने आदि हो चुके है कि थोडा समय मिलते ही बोर होने की शिकायत करते है और ये तय करने की बजाए उन्हें क्या करना है, क्या नया सीखना है या परिवार के सदस्यों से बातचीत करनी है; वो घूमफिरकर मोबाइल पर आ जाते है / चमकदार गहरे रंग, 3 डी इफ़ेक्ट, साउंड का बेहतरीन इस्तेमाल और तेज़ गति या सभी वो चीज़े है जो सभी का विशेषतः बच्चो का ध्यान अपनी ओर तुरंत आकर्षित कर लेती है / परन्तु जब वही बच्चा अपनी किताब खोलता है तो सफ़ेद पेज पर रुके हुए काले अक्षर उसे अपनी तरफ खीच नहीं पाते, गेमिंग की तेज़ गति की दुनिया के सामने उसे वास्तविक दुनिया उसे बहुत ही धीमी महसूस होती है और किसी सी बात को सुनकर, समझकर, बहुत तरह से समस्या समाधान सोचने की बजाये वो तुरंत समाधान चाहते है / इस तरह उनकी एकाग्रता, कल्पनाशीलता, तार्किकता और समस्या समाधान प्रभावित हो जाता है /

बच्चो का वो समय जो खेलने में बीतता था जिससे वो दुसरो के साथ बातचीत करना, उनसे खेल के नियमो में बदलाव करवाना, तर्क देकर किसी बात को सही या गलत ठहराना, चीजों के वास्तविक उपयोग से बाहर निकलकर उसे अपनी कल्पना से कोई और रूप देना, अपनी कल्पना से खेल का कोई थीम और डायलॉग बनाना ये सभी सामाजिक और मनोविज्ञानिक गुणों को स्वाभाविक रूप से विकसित कर लेता था ; उसकी जगह अब मोबाइल गेम और विडियो ने इन सभी से बच्चो को वंचित कर दिया है /

इन सभी समस्याओ के समाधान के रूप में आप ये तरीके अपना सकते है :

  • मोबाइल फ़ोन बच्चो की पहुँच से दूर रखे / यदि आप उससे बच्चे को परिवार व अन्य लोगो से बातचीत करवाते है तो मोबाइल को कान पर लगाने की बजाये ईअरफ़ोन का उपयोग करे या मोबाइल के स्पीकर ऑन कर उसे हाथ में सामने लेकर बात करवाए / यदि बच्चा किसी और काम के लिए मोबाइल का उपयोग कर रहा है तो वो दिन भर में 1 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए / इस 1 घंटे को भी आप आधे- आधे घंटे के 2 भाग या 15 मिनिट के 4 भागो में देना बेहतर होगा /
  • ट्रेन, बस या कार में मोबाइल फ़ोन का उपयोग कम करे क्योकि मेटेलिक बॉडी को पार कर सिग्नल को सही ढ़ंग से लेने के लिए मोबाइल फ़ोन का पॉवर बढ़ जाता है और साथ ही रेडिएशन भी / इसके अलावा जब सिग्नल कमजोर होते है तब भी आसपास में उपलब्ध सिग्नल को ढूंढने और लेने के लिए मोबाइल का पॉवर और रेडिएशन दोनों ही बढ़ जाता है / इस स्थिति में मोबाइल का इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है /
  • सोते समय मोबाइल फ़ोन को अपने सिर के आसपास ना रखे /
  • बच्चे को खेल के लिए, उसकी रुचियों को विकसित करने लिए, परिवार व आसपास के लोगो से बातचीत के लिए अवसर दे और उसे इनके लिए प्रोत्साहित करे / शुरुआत में आपको इसके लिए मेहनत करनी पड़ेगी परन्तु बाद में बच्चे के लिए ये एक्टिविटी ही प्रोत्साहन का कारण बन जाएगी /
  • बच्चे अपने माता-पिता को देखकर सीखते है / जब बच्चा देखता है कि ऑफिस से आने के बाद मम्मी पापा खुद अपने स्मार्ट फ़ोन में बिजी है तो वह भी ऐसा ही चाहता है / इसलिए घर पर अपने लिए ही नियम बनाये / खाना खाते समय मोबाइल या टीवी देखने की बजाये बातचीत करे / खाली समय में बच्चे के साथ खेले, उसे कुछ नया सिखाये या खुद उनसे सीखे या उससे छोटे-छोटे कामो में मदद के लिए कहे /
  • यदि आपका बच्चा किशोरावस्था में है तो मोबाइल के उपयोग सम्बन्धी नियम पहले से निश्चित कर ले / पढ़ते समय मोबाइल का पास में होना ही ध्यान भटकाने के लिए काफी है इसलिए स्कूल में फ़ोन ले जाने की इजाजत न दे और पढ़ते समय मोबाइल फ़ोन को दूर रखे / उससे कहे कि सोने से 1 घंटा पहले मोबाइल फ़ोन रख दे और रात में मोबाइल फ़ोन के उपयोग की मनाही हो ताकि बच्चा अच्छी नींद ले सके /
  • मोबाइल का उपयोग बिलकुल बंद नहीं किया जा सकता क्योकि इसके बहुत से लाभ भी है और समय के साथ आये बदलाव के साथ हमें भी आगे बढ़ना होता है / इसलिए बच्चो को मोबाइल के सही उपयोग की जानकारी दे / कुछ अच्छी वेबसाइट से उनका परिचय करवाए जिनसे वो अपना नॉलेज बढ़ा सके , अपनी रूचि की कोई चीज़ सीख सके /

मोबाइल के सही ढ़ंग से इस्तेमाल और इसके समय प्रबंधन से आईये हम इसे एक बेहरतीन टेक्नोलॉजी के रूप में इस्तेमाल करे /

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